Bihar Bhumi Viwad Sudhar: बिहार भूमि विवाद निराकरण एक्ट के तहत अब ऑनलाइन वाद दायर किया जा सकता है। इसके लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में उपस्थित होना जरूरी नहीं है। साथ ही वाद में आए निर्णय को ऑनलाइन देखा भी जा सकता है। इस एक्ट के तहत रैयती जमीन से संबंधित छोटे-मोटे झगड़े सुलझाने के लिए टाइटल निर्धारित करने का अधिकार भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को दिया गया है।
इसमें भी First Come First OUT सिस्टम लागू रहेगा। यानी पहले आवेदन करने वालों का मामला पहले ही निष्पादित किया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने इसकी विधिवत शुरुआत की। नयी व्यवस्था से रैयतों को सुविधा होगी। अब उन्हें नाहक दफ्तरों का चक्कर नहीं लगाना होगा।
बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009
सभी भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं को अधिकृत मामलों से संबंधित वादों की सुनवाई प्रारंभ करने तथा पूर्व के मामलों में पारित आदेशों के कार्यान्वयन का निर्देश दिया गया है। इसके तहत वाद दायर होने के 90 दिनों के अंदर निर्णय दिया जाना है। इस एक्ट के तहत भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा पारित आदेश के खिलाफ 30 दिनों के अंदर प्रमंडलीय आयुक्त के पास अपील करने का भी प्रावधान है।
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मामलों के निराकरण को क्षेत्राधिकार निश्चित किया गया
इस अधिनियम के तहत भूमि विवादों की सुनवाई के लिए भूमि सुधार उप समाहर्ता Bihar Bhumi Viwad Sudhar सक्षम प्राधिकार हैं। रैयती भूमि के मामलों अतिक्रमण, अनधिकृत संरचना निर्माण, सीमा-विवाद, आवंटित सुयोग्य श्रेणी के बन्दोबस्तधारी की बेदखली का मामला, भूखंड का विभाजन, आपसी संपत्ति का बंटवारा, सर्वे मानचित्र सहित स्वत्वाधिकार अभिलेख में की गयी प्रविष्टि में संशोधन से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए क्षेत्राधिकार निश्चित किया गया है।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने भूमि सुधार उप समाहर्ताओं को भूमि माफियाओं से कड़ाई से निपटने को कहा है। वे शनिवार को भूमि सुधार उप समाहर्ताओं Bihar Bhumi Viwad Sudhar की मासिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी भूमि सुधार उप समाहर्ता बिहार भूमि विवाद निराकरण और दाखिल-खारिज के मामले में फीफो व्यवस्था लागू करें।
बिहार भूमि विवाद निराकरण- Bihar Bhumi Viwad Sudhar
इससे पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी। मंत्री ने कहा कि भूमि सुधार उप समाहर्ता कोशिश करें कि 30 दिनों में इस एक्ट के तहत पारित आदेशों का कार्यान्वयन हो जाए। इस पर गंभीरता से अमल करें। इससे कई स्तरों पर प्रत्यक्ष सुधार दिखेगा। अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि दाखिल खारिज के मामलों में लंबित मामलों की संख्या कम हुई है।